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ब्रह्मविलासमें ज, जाकी शुद्धताईमें न और आप टारकें । जैसो शिवखेत बसेर तैसो ब्रह्म यहां लसै, यहां वहां फेर नाही देखिये विचारकें । जोई। है गुण सिद्धमाहिं सोई गुण ब्रह्ममाहि, सिद्धब्रह्म फेर नाहिं निश्च निरधारकें ॥१६॥
प्रश्नोत्तरदोहा. कोन ज्ञान विन आवरन, कौन देव विनराग। कौन साधु निम्रन्थ है, कौन व्रती जिहँ त्याग ॥ १७ ॥
एकाक्षरी दोहा. नानी नानी नानमें, नानी नानी नान ॥ नन नानी नन नानने, नन नैनानन नान ॥१८॥
यसरी दोहा. मानन मानों मानमें, मान मान मै मान । मनु ना मानै मानमें, मान मानुमें मान ॥ १९॥
ध्यक्षरी दोहा. चेतन चेतो चेतना, तो चेते चित चैन । ताते चेतन चेत तू, चेतनता नित नैन ।॥ २० ॥
चतुरसरी दोहा. अध्यातमम आतमा, मम अध्यातम धाम ।। आतम अध्यातम मतै, धू मम आतम ताम ॥२१॥ अथ वर्तमानचतुविशति जिनस्तुति लिख्यते ।
श्रीआदिनाथनिनस्तुति छप्पय. . आदिनाथं अरहंत, नाभिराजा कुलमंडन । आ नगर अयोध्या जनम, सर्व मिथ्यामति खंडन ॥ Geo-openParenpanwaRPAPARDARPARAPARWARE
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