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ब्रह्मविलासम वारवार फिर आई वारवार फिर आई, वारवार फेर आई है ( आतमसो हरी है । वारवार जुर आई वारवार जर आई, है वारवार जार आई ऐसी नीच खरी है ॥ वारवार वार चाहै ,
वारवार वार चाहै,वारवार चार चाहै मानो चारदरी है। वारवार धोखो खाहि वारवार कहै काहि, वारवार पोपै ताहि वारवुधि
करी है ॥६॥ ए अपनी कमाई भैया पाई तुम यहां आय, अव कछु सोच किये , है हाथ कहा परि है । तब तो विचार कछु कीन्हों नाहिं बंधसमें, इयाके फल उदै आय हमै ऐसे करि है । अब पछताये कहा होत है है अज्ञानी जीव, भुगते ही वनै कृति कर्म कहूं हरि है । आगेको , संभारिकें विचार काम वही करि, जातें चिदानंद फंद फेरकै न धरि है ॥ ७॥
नाम मात्र जैनी पै न सरधान शुद्ध कहूं, मूंडके मुंड़ाये कहा है सिद्धि भई बावरे । काय कृश किये कछु कर्म तौ न कृश होहिं, है मोह कृश करिवेको भयो तो न चावरे ॥ छाँड्यो घरवार पैन छाड्यो घरवार कोऊ, वार वार ढूँढै धन वनै कहूं दावरे । कलियुगके साधुकी वडाई कहो केती कीजे, रात दिना जाके भाव रहैं हाव हावरे ॥८॥
جیمی فالغل والنفاق تحت هیولاياتل تناولت حمله نکنید
सवैया.
हु हे मन नीच निपात निरर्थक, काहेको सोच करै नित करो।
तू कितहू कितह पर द्रव्य है, ताहिकी चाह निशा दिन झुरो॥ B आवत हाथ कछू शठ तेरे जु, वांधत पाप प्रणाम न पूरो।
आगेकोबेल वढे दुखकी कछु, सूझत नाहिं किधोंभयोसूरो॥९॥ floreracopanpoPRRAORDARPANDEnrommami