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ब्रह्माविलासमे.
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नाक रहेत सब रह्यो, नाक गये सब जाय ॥. नाक बरोवर जगतमें, और न वडो कहाय ॥१४॥ प्रथम वदन पर देखिये, नाक नवल आकार ॥ सुंदर महा सुहावनो, मोहे लोक अपार ॥ १५ ॥ सीस नवत जगदीसको, प्रथम नवत है नाक ।। तौही तिलक विराजतो, सत्यारथ जग वाक ॥१६॥
ढाल "दान सुपात्रन दीजिये" एदेशी भाषा गुजराती. नाक कहै जग हूं वडो, बात सुनो सव काई रे॥ नाक रहे पत लोकमें, नाक गये पत खाईरे, नाक० ॥ १७॥ नाक रखनके कारणे, वाहूवलि वलवंती रे ॥ देश तज्यो दीक्षा ग्रही, पण ननम्यों चक्रवतोरे, नाक० ॥१८॥ नाक रहनके कारनै, रामचन्द्र जुध कीधो रे॥ सीता आणी वलकरी, वलि ते संयम लीधोरे,नाक० ॥१९॥ नाक राखण सीता सती, अगनी कुंडमें पैठी रे॥ सिंहासन देवन रच्यो, तिह ऊपर जा बैठीरे, नाक० ॥२०॥ दशार्णभद्र महा मुनि, नाक राखण व्रत लीधो रे ॥ इन्द्र नम्यो चरणे तिहाँ, मान सकल तज दीधोरे, नाक०॥२१ सगर थयो सौरो धणी, छलथी दीक्षा लीधीरे ॥ नाक तणी लज्जा करी, फिर नवि मनसा कीधीरे, नाक०२२ अभय कुंवर श्रेणिक तणों, वेटो आज्ञाकारीरे ॥ तूंकारो तातहि दियो, ततछिन दीक्षा धारीरे, नाकगार॥ नाम कहूँ केता तणां, जीव तस्या जगमाहीरे ॥ नाक तणे परसादथी, शिव संपति विलसाईरे, नाक०॥२४॥ (१) इन्नत. anPOOGVODAIADMAARADARWeewana
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