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..ब्रह्मविलासमें नीक ॥ ७॥ जय जय जिनवर देवाधिदेव । जय जय तिडंपन
भवि करत सेव ॥ जय जय तुम ध्यावहिं भविक जीव । जय जय है सुख पावहिं ते सदीव ॥८॥
पत्ता. ते निजरसरत्ता तज परसत्ता, तुम सम निज ध्यावहि घटमें ॥ ते शिवगति पावै बहुर न आवै, वसै सिंधुसुखके तटमें ॥९॥
इति तीर्थकर जयमाला.
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अथ श्रीमुनिराज जयमाला।
दोहा. परमदेव परनाम कर, सतगुरु करहुं प्रणाम ।। कहूं सुगुणं मुनिराजके, महा लब्धिके धाम ॥१॥
ढाल-मुनीश्वर बंदो मनधर भाव, ए देशी। पंच महाव्रत आदरैजी; समति धरै पुनि पंच॥ . ए पंचहु इन्द्रिय जीतकेजी, रहै विना परपंच,मुनीश्वर० ॥२॥
पट आवश्यक नित करैजी, जीव दया प्रतिपाल ॥ .. सोवै पश्चिम रयनमेंजी, शुद्ध भूमि लघुकाल, मुनीश्वर ॥३॥
स्नान विलेपन ना करैजी, नग्न रहै निरधार ॥ कचलोंचे हित भावसोंजी, एकहि बेर अहार, मुनीश्वर०॥४॥ है थिर है लघु भोजन करेंजी, तजें दंतवन काज॥ . . ये पालैं निरदोषसोंजी, सो कहिये ऋषिराज, मुनीश्वर॥५॥3
दोष लगे प्रायश्चित करैजी, धरै सुआतम ध्यान ॥ . . सोधै नित परिणामकोजी, सो संयम परवान, मुनीश्वर ॥६॥ YOOORDPREPARWARENEWARPANCHAMPARAN
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