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________________ संस्कृत साहित्य का इतिहास (७) चौथी और पाँचवीं शताब्दी के भूदान के लेन-पत्रो में महा. भारत को स्मृति ( धर्मशास्त्र) के नाम से उद्धृत किया गया है। (E) सन् ४६२ ई० का एक शिलालेख महाभारत में निश्चित रूप से एक लाख श्लोक बतलाता है और कहता है कि इसके रचयिता पराशर के पुत्र वेदव्यास महामुनि व्यास है। (6) शान्तिपर्व के तीन अध्यायों का अनुवाद सीरियन भाषा में मिबता है। उनके श्राधा पर मो. इटल ने जो लिखा है उससे, विश्वास हो जाता है कि श्लोकबत महाभारत, जिस रूप में अाजकल उपलब्ध होता है, सन् ५००ई० में भी प्रायः ऐसा ही था। चीनी तुर्किस्तान और चीनी साहित्य की जो छानबीन हाल में हुई है, उससे तो यह भी जाना जा सकता है कि सन् १०० ई. में ही नहीं, उससे भी कई शताब्दी पहने महाभारत का यही रूप था। प्राशा की जाती है कि महायान बौद्ध ग्रन्थों के अधिकाधिक अनुसन्धान से इस विषय पर और भी अधिक रोशनी पड़ेगी। (१०) डागन क्राइसस्टन का एक साक्ष्य मिलता है कि एक लास श्लोकों वाला महामार लन् ५० ई. में दक्षिण भारत में सुप्रसिद्ध था। (1) वज्रसूची के रचयिता अश्वघोष (ईसा की प्रथम शवान्दी) ने हरिवंश में से एक श्लोक उदृत किया है। (१२) भास के कुछ नाटक महाभारतगत उपाख्यानो पर अवलम्बित है। इस प्रकार मैकडानल के शब्दों में हम इस प्रकरण को यो समाप्त १ इस बात से प्रो. होल्ट्जमैन के इस वाद का पूर्णतया खण्डन हो जाता है कि महाभारत को धर्मशास्त्र का रूप ६०० ई० के बाद बाह्मणों ने दिया था। २ देखिए, चिन्तामणि विनायक वैद्य की 'महाभारतमीमांसा
SR No.010839
Book TitleSanskrit Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Agrawal, Lakshman Swarup
PublisherRajhans Prakashan
Publication Year1950
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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