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________________ महाभारत एक और संस्करण मदरास में ( १८५५-६० ) चार भागों छपा था। इसका मुद्रण दक्षिण भारत-संस्करण के आधार पर कर लिपि में हुआ है। इसमें नीलकंठी टीका के अंश और हरिवंश भी सम्मिलित हैं । महाभारत का सचित्र और बालोचना चर्चित ( Critical ) संस्करण पूना से भाण्डारकर श्रोरियटल रिसर्च इंस्टीच्यूट द्वारा प्रकाशित हो रहा है। इसका श्राधार मुख्यतया उत्तर भारत-संस्करण है । अब तक महाभारत का कोई संस्करण भारत से बाहर प्रकाशित नहीं हुआ है। (३) टीकाएँ-- सब से पुरानी टीका जो श्राजकल मिलती है, सर्वज्ञनारायण को है । यह यदि बहुत ही नयी हो तो भी १४ वीं शताब्दी के बाद के नहीं हो सकती। दूसरी टीका अर्जुन मिश्र की है, जिसके उद्धरण नीलकण्ठ ने अपनी टीका में दिये हैं। यह कलकत्ता के (१८७१) संस्करण में प्रकाशित हुई | सबसे अधिक प्रसिद्ध टीका नीलकण्ठ कौ है टीका बगल के मत से नीलकes १६ वीं शताब्दी में हुए हैं। वे महाराष्ट्र में कूरपुरा के रहने वाले थे । (घ) वर्णनीय विषय अनुमान यह है कि प्यास का - reat अन्य पर्वों और अध्यायों में विभक था । वैशम्पायन ने भी उसी क्रम को स्थिर रक्खा। उसके प्रभ्थ में प्रायः यौ पर्व थे। सौति ने arat १८ पत्र में frबद्ध कर दिया' । बहुत बार मुख्य पर्व और इसके भाग का नाम एक ही पाया जाता है; उदाहरणार्थ, मुख्य सभा १ - उन अठारह पर्वो के नाम ये हैं- (१) आदि (२) सभा (३) वन (४) विराट् (५) उद्योग (६) भीष्म (७) द्रोण (८) कर्ण (६) शल्य (१०) सौप्तिक (११) स्त्री (१२) शान्ति (१३) अनुशास (१४) अश्वमेघ (१५) आमवाती (१६) पसल (१७) महाप्रस्थानिक (१८) स्वर्गारोहण
SR No.010839
Book TitleSanskrit Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Agrawal, Lakshman Swarup
PublisherRajhans Prakashan
Publication Year1950
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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