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________________ पंचतन्त्र को शैली २४१ में महाभारत का प्रसिद्ध वाक्य ' शप्रति शाध्यमाचरेत् विस्पष्ट किया गया है। कोई भादमी परदेश जाते समय अपनी बोहे की वस्तुएँ अपने मिन एक बनिये के पास धरोहर रख गया । परदेश से लौटने पर अब उसने उन्हें माँगा, तो उन . मला कि लोहे की चीज़ों को चूहे खा गए । श्रादमी होशियार था । वह बनिये के लड़के को साथ ले जाकर कहीं छुपा पाया और श्राकर कहने लगा-मित्र ! दुःख है, तुम्हारे लड़के को श्येन ले कर उड़ गया। बनिये को बड़का वापिस लेने के लिए विवश हो उसकी सब चीजें देनी पडी। पहले तन्त्र की अन्तिम कहानी बताती है कि र्ख मित्र से बुद्धिमान् शत्रु अच्छा है-एक स्वामी का सच्चा मह किन्तु मूर्ख सेवक था। एक दिन स्वामी सो रहा था। उसके मह पर बार-बार उड़ती हुई मक्खी को मारने के लिए सेवक ने तलवार बलाई, जिसने बेचारे स्वामी की जान ले ली। दूसरी ओर, कुत्रों ने ब्राह्मणों की जान बचा दी। (२) लेखक केवल मधुर कथावाचक और चतुर राजनीतिज्ञ ही नहीं, प्रत्युत वर्णन-कला का गुरु भी है ! हम देखते हैं, प्रायश: वह मनोहारिणी सुन्दर कथा के कहने के श्रानन्द में मग्न हो जाता है। 'ग्रेट शार्ट FEITE a f ost (Great Short Stories of the World ) नामक प्राधुनिक कहानी-संग्रह में इन कहानियों को एक प्रधान स्थान दिया गया है। (३) पात्रों द्वारा अत्यानुप्रास के पच बुलवाना इसकी रचना की एक और विशेषता है। देखिए, सिंह गीदव से कहता है १ इन कहानियों का उद्देश्य व्यवहारिक राजनीति की शिक्षा देना है, श्राचार की नहीं । अतः कुछ कहानियों में कूट-विद्या की शिक्षा भीभरी है। प्रथम तन्त्र में कूट-विद्या -विशारद दो गीदड़ों की कथा आती है, जिन्होंने छल-कपट द्वारा सिंह और वृषभ दो घनिष्ट मित्रो में फूट डलवा दी थी।
SR No.010839
Book TitleSanskrit Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Agrawal, Lakshman Swarup
PublisherRajhans Prakashan
Publication Year1950
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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