________________
अध्याय १२ गद्य-काव्य ( कहानी ) और चम्यू ।
(७६) गद्य-काव्य का आविर्भार। महाकाय के आविर्भाव के समान गद्य-काव्य का भी विवि हहस्य से भादूरख है। हमें दण्डी, सुबन्धु और बाश जैसे यशस्वी लेखकों के ही ग्रन्थ मिले हैं। इनसे पहले के नमूनों के बारे में हमे कुछ एता नहीं है। वाण ने अपने हर्षचरित की भूमिका में कीर्तिमान गद्य-लेखक के रूप में महार हरिचन्द्र का नाम अवश्य लिखा है, पर प्रसिद्ध दलक के शिष्य में इससे अधिक और कुछ मालूम नहीं है। सम्भव होने पर भी इसका निश्चय नहीं कि मह लेखक दशही से प्राचीन है।
गध-काम्य और सर्वसाधारण की कहानी में भेद है। पहले को आमा म-निष्पादित वर्णन और दूसरे को मारमा वेगवान् और सुगम कथा-कथन है। इस प्रकार यह साबित होता है कि गा-काव्य की बचना रमणीय काम्य-ौली के आधार पर होती है। अतः शैली की रहिसे इसके प्रादुर्भाव का हाल जानने के लिए हमें साधारमा कपाकथन को खोद कर रुद्रयामा के शिलालेख और हरिषेण कृत समुद्रगुप्त की प्रशस्ति की शोर पोछे मुड़ना होगा। गद्य-काय के विकास पर पड़ा दुमा वास्तविक काव्य का यह प्रभाव कई शताब्दियों म उहा होगा।
पीटरसन ने भपमा प्रकट करते हुए कहा था कि भारतीय गहकाम्य युनामी भय-काव्य का पी है। दोनों में अनेक समानताएं हैं।