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________________ भारत माता कोई हिन्दू या मुसमान हो भाई । जरथुस्त भक्त. या निल जैन, ईसाई ॥ या धमकीन नास्तिकता हो काई । नवनी सभी की मांई ॥ नत्र से है ग एक मरीला नाना । हे हनी प्यारी भारतनाना ॥ ८ ॥ नेरी सेवा में नारी शक्ति लगाऊ | कणकण पर जीवन दीप जलाऊ | पर मन का सुमन चटाऊँ । मानवता का मगीत मनोहर गाऊ | तेरा गुण गात सुरगुरु भी न अघाता । हे भुवन मोहिनी प्यारी भारतमाता ॥ ९ ॥ अपनी झौकी फिर एक बार दिग्वलांद | दुनिया पर जीवित शान्ति चन्द्रिका छाटे । सची स्वतन्त्रता का सन्देश सुनांदे | घर घर में प्रेमामृत की धार बहाने || सवर नष्ट हो प्रेम रहे मन भाता । हे भुवन मोहिनी प्यारी भारतमाता ॥ १० ॥ मानवता के सिरपर दानव न खडा हो । अन्यायी, सत्य में आटे न अड़ा हो । मन प्रेम पूर्ण हो पापों का न घडा हो । साम्राज्यवाद के चक्कर मे न पटा हो || मानव का मानव रहे सर्वदा भ्राता । हे भुवन - मोहनी प्यारी भारतमाता ॥ ११ ॥ [ ३३
SR No.010833
Book TitleSatya Sangit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1938
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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