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१४ ]
सत्य संगीत
भगवान सत्यः ।
[ १ ]
व जगत्-पिता वात्सल्य प्रेम स्नाकर । देवाधिदेव मुख स्वतन्त्रता का आकर ॥ हे राम, कृष्ण, जिन, बुद्ध, मुहम्मद सारे. जरथुस्त, यीशु सत्र तेरे पुत्र दुलारे || [ २ ]
है काल का भेद, मगर हैं भाई आकर सबने तेरी ही महिमा गार्ड सत्र ही लाये तेरी पदरज का अञ्जन
जिससे विवेक का भान हुआ. दुग्खभञ्जन | [ ३ ]
छानी है जगमें जब कि घोर अँधियारी अन्यायों से भर जाती पृथिवी सारी । बनना है कोई पुत्र दुलारा तेरा
वह विश्व मात्र का सत्रक प्यारा तेरा ||