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सत्य संगीत
उसके प्रति
( १ ) बुझादे, मेरी ज्वालाएँ ।
दुख
दुनिया देख न सकती स्वामी । समझ रहा तू अतर्यामी ।
नागिनकी लपलपी जीभ - सो ज्वाला-मालाएँ ।
बुझादे, मेरी ज्वालाएँ ॥ ( २ )
अपनी व्यथा अवश्य सहूँगा ।
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अनल देव की किस प्रकार लिपटी ये बालाऍ ॥ बुझादे मेरी ज्वालाएँ ॥
(३)
में हँसता हुआ रहूँगा ।
जलकर भी आवाढ करूँगा, तेरी शालाएँ । वुझादे, मेरी ज्वालाऍ ॥
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