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" सर्वमंगलमांगल्यं सर्वकल्याणकारणं । “ प्रधानं सर्वधर्माणां जैनं जयति शासनम् ॥ २ ॥
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः . सभापतिजीकें व्याख्यानके अनंतर जयध्वनीपूर्वक सभा विसर्जन हुई.
___ " लेखक प्रार्थना." प्यारे पाठको ! मैं इस सम्मेलनमें स्वयम् उपस्थितथा इसलिये जो कुछ मेरे देखने व सुननेमें आया है वही अपनी लेखनीद्वारा उध्धृत कर आपकी सेवामें निवेदन किया गया है. " धावतस्खलनं कापि " इस न्यायसे यदि कुछ लिखने में त्रुटि रह गई हो तो कृपया क्षमा करें.
__ आपका कृपाभिलाषी हीरालाल शर्मा. मैनेजर श्रीआत्मानंद जैन लायब्रेरी 'अमृतसर' (पंजाव.) छ । सम्मेलनमें उपस्थित महात्माओंके नाम. ॥ १ श्री १०८ श्री आचार्य महाराज श्रीविजय कमलमूरि. २ श्री १०८ श्री उपाध्यायजी महाराज श्रीवीरविजयजी. ३ श्री १०८ श्री प्रवर्तकंजी महाराज श्रीकांतिविजयजी. ४ श्री १०८ मुनिमहाराज श्रीहंसविजयजी. ५ पंन्यासजी महाराज श्रीसंपविजयजी. ६ मुनि महाराज श्री वल्लभविजयजी.