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________________ अपने हाथकी तर्फही ख्याल करें ! एक एक अंगुलिके भिन्न भिन्न कार्यमें सर्व अंगुलिएँ एक समान होती हुईभी एक अंगुलिका काम दूसरी अंगुलि नहीं कर सकती है ! जैसे कि, पांचोही अंगुलिओमेंसे विवाहादि प्रसंगमें तिलक करनेका काम जो कि अंगुष्टका है वह काम अन्यसे नहीं किया जाता. ऐसेही यदि किसीको खिजानेके लिये जैसे अंगूठा खड़ा किया जाता है और उसको देख कर सामना आदमी झट खीज जाता है यह कामभी और अंगुलि नहीं कर सकती! . अंगुष्टके साथकी अंगुलि जैसे वोलतेको चुप करानेके लिये, या किसीको तर्जना करनेके लिये काम आ सकती है, और अंगुलि इस संकेतका ज्ञान कदापि नहीं करा सकती ! पांचोही अंगुलिओंको दो इधर और दो इधर ऐसे विभागमें वांटनेका काम जैसा मध्यमा-विचली अंगुलि कर सकती है अन्य अंगुलिसे वो काम कदापि नहीं हो सकता ! इष्टदेवके पूजनमें इष्टदेवको तिलक करनेका काम अनामिका चौथी अंगुलिका है वो काम अन्य अंगुलिसे नहीं किया जाता! इसी प्रकार कनिष्टिका पंचमी अंगुलिका काम स्कूलमें मास्तरसे लघुनीतिपेसाव-करनेको जानेके लिये ही मांगनेका है वो काम अन्य अंगुलिसे नहीं हो सकता ! या मुद्रिका पानेका ख्याल प्रायः जितना कनिष्टिकाका होता है इतना अन्य किसी अंगुलिका नहीं ! जिसका कारणभी यही मालूम देता है कि, चलते हुए आदमीकी वही अंगुलि खुली रहती है. औरतो प्रायः दवाणमें आजाती हैं. तो दूरसे मुद्रिकाकी चमकभी मालूम नहीं हो सकती ! एवं पांचाही अंगुलिये निज निज कायके करनेमें समर्थ होनेसे. अपने स्थानमें सबद्दी
SR No.010821
Book TitleMuni Sammelan Vikram Samvat 1969 Year 1912
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Sharma
PublisherHirachand Sancheti tatha Lala Chunilal Duggad
Publication Year1912
Total Pages59
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tithi, Devdravya, & History
File Size3 MB
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