________________
२४९]
सत्यामृत
प्रार्थना आदि के समय वह कापायवासना को होगी वह आचार-स्मृति कहलायगी । इन हटा देता है । ल्वसाधक अधिक से अधिक एक भावनाओं से निरपेक्ष जो स्मृति होगी वह ज्ञानस्मृति वर्ष तक काम-वासना रखता है । वर्ष में वह कहलायर्गः । जिस दिन को सबसे पवित्र दिन समझता है
जैसे किसी न्यायाधीश ने अपराधी को दंड उसदिन या अपने जन्म-दिन पर वह पिछले वर्ष दिया उस मामले में मैं गवाह था, अब जब मुझे की पाय-वासनाएँ दूर कर देता है। जो एक उस घटना का स्मरण होता है तब मुझे उस वर्ष से भी अधिक कराय-बाम्ना रखता है वह घटना के विषय में कुछ कर्तव्य नहीं मालूम होता लवसाधक भी नहीं है। वह इस दृष्टि से असंयमी है। है सिर्फ धारणा-शक्ति के कारण स्मरण होता है |
प्रश्न-कषाय-वासना तभी दूर हो सकती परन्तु अपराधी को जब जब स्मरण होता है तब है जब हम किसी व्यक्ति को या उससे सम्बन्ध तब न्यायावीश पर क्रोध भर आता है, अवसर मिले रखनेवाली अनिष्ट घटनाको भुला दें। पर भूलने तो वह थोड़ा बहुत अपकार भी करें इसलिये न भूलने का सम्बन्ध संवर-अमंचन से नहीं ज्ञान उसकी यह आचार-स्मृति है। ज्ञान की धारणा अज्ञान से है। किसी आदमी ने अन्याय किया से ज्ञानस्नति होती है कषाय की वासना से और वह अन्याय हमें जीवनभर याद रहता है आचारस्मृति होती है। किट्टकषायी न होने के लिये तो इसमें हमारा क्या दोष! स्मरण-शक्ति की तीव्रता कषाय की वासना के त्याग की जरूरत है को हम क्या करें ?
ज्ञानकी धारणाके त्यागकी जरूरत नहीं। उत्तर-याद रहना काया-वामना नहीं है प्रश्न--पति-पन्नी के बीच में आचारस्मृति किन्त वैर या मोहरान सपा-बामना है । ज्ञान- जीवन भर रहती है, रहना भी चाहिय तब क्या स्मति एक बात है और आचारसंनि दूसरी बात इसे कषाय किट्ट कहना चाहिये ! अगर कषाय किट है। अनानि से संयम का सम्बन्ध नहीं
समझकर इसका त्याग किया जाय तो जगत् में यदि आचार-मति में संयम-असंयम का सहयोग का अभाव ही हो जायगा ! दाम्पत्य और सम्बन्ध है। यह झानस्मृति है या आचारी , विना नष्ट हो जाययी। इसका पता लगाना हो तो यह देखना चाहिये कि उस स्मृति से कुछ पकाने की प्रेरणा ।
उत्तर-दाम्पत्य और कौटुम्बिकता में कषाय अथवा कार्य न कर पाने: ५५ ताता है अथवा
की सरना नहीं है वहां प्रेम की-भक्ति, मैत्री और नहीं होता। यदि होता हो तो समझो आचार-स्मृति
बम की जरूरत है। इनकी स्थिरता को तेज
५६ नहीं। तेज पाप नहीं है । है न होता हो तो समझो ज्ञानम्मृति है । यद्यपि के मूड में ज्ञानमति है क्योंकि
प्रेम और मोह जानम्मति के बिना अकस्मत नहा मनी प्रश्न- पर केवल प्रेम से जगत का काम फिर भी ज्ञानमनि यई नक है के नहीं चल सकता, वहां मोह ज़रूरी है क्योंकि से मन में भक्षणतरण अदिक भाव न आने प्रेम में निम्पक्षना या न्यायपरायणता आवश्यक है ब। रणनक्षण आदि
पर निशाना में पनिष्टता नहीं होती और
: