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________________ नया व्यवसाय सम्पत्तिके नाते वह स्वयं एक समृद्ध व्यक्ति था । किन्हीं सूक्ष्म देही देवदूतों द्वारा वे बैक-चेक उन व्यक्तियोंकी रद्दीकी टोकरियोंसे निकाल कर इस बैंकमें जमा कर दिये गये थे। न्यायाधीशने सब बातोंपर विचार कर निर्णय दिया 'इस व्यक्तिने अपने असाधारण, गुप्त व्यवसाय-कौशल-द्वारा एक सहस्र व्यक्तियोंको अपना ऋणी और साथ ही अक्षय धन-सम्पन्न बना .लिया है । पृथ्वी और स्वर्गके चालू बैंकोंमें जमा किया हुआ धन क्षीण हो सकता है। किन्तु स्वर्गके रिजर्व बैकमें जमा किया हुआ कभी नष्ट नहीं होता, क्योकि वह मूल धन कभी निकाला नहीं जा सकता और उसका ब्याज सौ प्रतिशत प्रतिवर्षकी दरसे बराबर डिपाजिटरके चाल बैंकोमें कभी भी ट्रांसफर कराया जा सकता है। पृथ्वीके मनुष्योंका इस रिजर्व बैंकमे हिसाब खोलना हम प्रोत्साहित नहीं करते, क्योंकि इससे देवलोककी सम्पत्तिका ही ह्रास है । इस व्यक्तिने अपने व्यावसायिक साहस और चातुर्यसे एक सहस्र नये मनुष्योंका हाथ देवलोककी सम्पत्तिमें डाल दिया है । इसे हम यही दंड दे सकते हैं कि यह पृथ्वीपर अगला जन्म एक भिखारीका पाये।' ____ कहते हैं कि अगले जन्ममें वह व्यक्ति एक भिखारी ही हुआ। किन्तु समृद्धि उसके पीछे लगी थी। उसके पिछले जन्मके ऋणी जनोंने अपनी अन्तःप्रेरणासे उसे खुले हाथों दान दिया और का महान् भिक्षुकने भारतवर्षमे एक बड़े आधुनिक शिक्षामठकी स्थापना की और सम्मानपूर्ण वृद्धत्वको प्राप्त करके अपना वह जन्म पूरा किया। भविष्यदर्शियोंका अनुमान है कि अगले जन्ममें वह और भी बड़ा भिखारी होकर फिर इसी देशमे आयेगा और उसकी याचनाएँ इस देशको आर्थिक विषमताओंको पाटकर जीवनको प्रारंभिक आवश्यकताएँ सभीके लिए सुगम कर देंगी।
SR No.010816
Book TitleMere Katha Guru ka Kahna Hai Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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