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प्राक्कथन मेरी ८८ लघु-कथाओंका संग्रह 'मेरे कथागुरुका कहना है' नामसे भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित हो चुका है। उसी शैलीको ६९ लघु-कथाएँ इस 'संग्रह' में प्रस्तुत हैं । कथाओंके माध्यमसे जीवनकी रोचकता और सार्थकताके जो दृश्य और दृष्टिकोण एक संग्रहमें प्रस्तुत किये गये है उन्हींका विस्तार दूसरेमे है। दोनों संग्रह स्वतः स्वतन्त्र होते हुए एक-दूसरेके पूरक भी हैं । कैलास (आगरा) सन्तुलन दिवस
-रावी २३ सितम्बर १९६१