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________________ ३० मेरे कथागुरुका कहना है किन्तु उस रात भी गाँववालोंने राजाके दूधकी चोरी की। खोज करनेपर पता लगा कि लोगोंने उन रोटियोंको अगले दिनके लिए सुरक्षित रख कर पिछले क्रमके अनुसार चोरीके दूधसे ही अपना पेट भरनेमे अपना विशेष हित समझा था। मंत्रियोने अपना संशोधित परामर्श राजाको दिया कि एक दिनकी रोटियोंके साथ-साथ अगले दिनकी रोटियोका आश्वासन भी गाँववालोंको मिलना चाहिए। तभी वे उदरसे तृप्त और मनसे निश्चिन्त होकर चोरीसे हाथ खींच सकते हैं। अगले दिन राजाने रोटियोंके साथ यह घोषणा भी गाँवमें भेज दी कि प्रत्येक व्यक्तिको प्रतिदिन भरपेट रोटियाँ राजमहलोंसे मिलती रहेंगी। लोगोंने उस दिन भी रोटियां ले लीं, किन्तु उस रात भी दूधकी चोरीमें उन्होंने कोई कमी नहीं की। खोज करनेपर पता लगा कि उस दिनकी रोटियोंको भी लोगोंने अगले दिनोंके लिए रख लिया था, क्योंकि रोटियाँ कई दिनों तकके लिए सुरक्षित रवखी जा सकती थीं और निश्चिन्तताके लिए यह आवश्यक भी था कि एकसे अधिक दिनोंके लिए उनका संग्रह कर लिया जाय । ___मंत्रियोंके पुनः संशोधित परामर्शके अनुसार अगले दिन राजाने छकड़ोंमे भरकर कई गुनी और बे-हिसाब रोटियाँ उस गाँवमें भेज दीं। लोगोंने कई-कई दिनोंकी आवश्यकता भरकी रोटियाँ अपने घरोंमें भर लीं। किन्तु अगली रात भी उन्होंने विधिवत् दूधकी चोरी की। पता लगाने पर ज्ञात हुआ कि उस दिन उन छकड़ोंमेंसे कुछ लोगोंने बहुत अधिक और कुछने अपेक्षाकृत कम अधिक दिनोके लिए रोटियाँ समेट ली थीं। कम अधिक रोटियां लेनेवाले लोगोंने बहुत अधिक लेने वालोंकी बुद्धिमत्ताका अनुमान लगा लिया था और वे भी उन्होंके बराबर अपना संग्रह बढ़ा
SR No.010816
Book TitleMere Katha Guru ka Kahna Hai Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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