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अदितिको आँखें
उसने असाधारण त्याग, संयम और सेवाका जीवन बिताया था। समाजके आचारिक और राजनीतिक विभागोंमे उसने बड़े-बड़े काम किये थे
और अपनी विद्वत्ता और दक्षताके कारण उसकी गिनती समाजके महान् निर्माताओंमे हो गयी थी। ___ उसकी जीवन-अवधि पूरी होनेपर स्वर्गस्य मानवों और देवताओंने अपने लोकमें उसका बड़े समारोहके साथ स्वागत किया।
लगभग सभी स्वर्ग-निवासियोंका अनुमान था कि इस मानव-आत्माको ही अगली बार भूतलपर मानव-जातिके नये सामाजिक विधानका प्रधान विधायक बनाकर भेजा जायेगा। मानव-जातिके नये युगका चक्र प्रारम्भ होनेको था और देवताओंकी आँखें उपयुक्त विधायककी खोजमे संलग्न थीं। विधायकका पद-भार संभालनेके योग्य दीखनेवाली ऐसी पाँच-छह मानव-आत्माएँ पहलेसे ही स्वर्गमे पहुँची हुई थीं।
स्वर्गके विधान-भवनमें देवों और मानव-पितरोंकी सभा जुडी। महामनु भगवान् विवस्मन् इसकी अध्यक्षता कर रहे थे और देवों-मानवों की जननी लोकमाता अदिति भी उसमें उपस्थित थीं।
स्वर्गलोकमे विद्यमान, मानव विधान के विधायक पदके लिए उपयुक्त सभी मानव-आत्माओंके भू-जीवनके लेखे-जोखे लिपिका-जनोने प्रस्तुत किये। इस नवागत मानवात्माके गुण और कार्य दूसरे पाँच-छह निर्वाच्य जनोंसे कहीं अधिक निकले।
'हमारे सम्मान्य नवागत मनुपुत्रका जीवन-लेखा ही इस समयके समागत मनुपुत्रोंमें सर्वश्रेष्ठ है । इस मनुपुत्रको मानव-जातिके अगले नीति-विधायक के पदका दायित्व देनेमे क्या आपमेसे किसीको, या स्वयं इस मनुपुत्रको