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अन्तिम खोज .
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बनानेपर वे इस द्वीपमें फलोंके नये बगीचे लगा सकते थे; और उनका मुख्य आहार तो अन्न था, जिसकी खेती करना उन्हें अच्छी तरह आता था।
राजाने अपने एक मन्त्रीकी अध्यक्षतामें उसी अन्वेषक टोलीको पुनः अन्तिम वार्ता और आवश्यक व्यवस्थाके लिए उस द्वीपमें जानेका आदेश दिया। किन्तु उन अन्वेषकोंमें से एकने वहाँ दोबारा जानेसे इनकार करते हुए अपना मत दिया कि उस द्वोपको इस राज्यमें सम्मिलित करना सर्वथा निरर्थक है। इस व्यक्तिने पहले भी इस द्वीपके सम्बन्धमें की गयी खोजोंमें तनिक भी भाग नहीं लिया था। राजाने इस व्यक्तिके कथनपर कोई ध्यान नहीं दिया। उसकी निष्क्रियताको बात पहले ही राजाके कानोंमें पहुँच चुकी थी और अब उसके इस आग्रहपर ध्यान देनेका अर्थ यही हो सकता था कि उसे उसकी प्रतिगामिता और विरोधात्मक प्रचारके लिए दण्डित किया जाय ।
दूसरी बार यह टोली उस द्वीपमें पहुंची। सब बातें तय करके वहाँ उपनिवेश बसानेकी तैयारियां प्रारम्भ हो गयीं । आवश्यक अन्नों और सामनियोंसे भरी नौकाएँ उस द्वीपको जाने लगीं। नयी बस्तियां बसने लगीं और मैदानोंमें अन्नकी खेती करनेके लिए खेत तैयार किये जाने लगे। उतने समय तकके लिए अन्न नये प्रवासियोंकी आवश्यकता-भरको महाद्वीपसे ले जाया गया था। वर्षा हुई और खेतोंमें आवश्यक अन्न बो दिये गये।
किन्तु इस सब श्रमका अन्तिम फल देखने में अधिक विलम्ब न लगा। उस द्वीपकी धरतीपर अन्न-बीजका एक भी अंकुर नहीं उगा। उस द्वीपकी सम्पूर्ण धरती अन्नोत्पादनके लिए थी ही ऐसी ! ___ नये प्रवासियोंको अपने श्रम, सम्पत्ति और आशाओंका बहुत-कुछ खोकर पुनः अपने महाद्वीपको लौटना ही पड़ा !
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मेरे कथागुरुका कहना है कि उस विरोधी अन्वेषकने असंख्य दूसरी जानकारियोंका संग्रह करनेसे पूर्व उस धरतीके एक कोनेमे बैठकर इस परम