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________________ अनुक्रमणिका विषय पृष्ठ क्रम विषय १ से ६० २-द्वितीय प्रकाश १-प्रथम प्रकाश ६१ से २४६ ९३ २३ ३३ अतिशय-गभित स्तुनिम्न मंगलाचरण १ चंरकौशिक को प्रतिबोध भ. महावीर को महाकरुणा योग का माहात्म्य योग का फन और मन कुमार चक्रवर्ती १६ विविध प्रकार की लब्धियां २१ भ० पगदेव की विस्तृत जीवनगाथा भग्नगजा का दिग्विजय अंगारदाहक का दृष्टान्त भग्तचक्री को केवलज्ञान दृढप्रहारी पर योग का प्रभाव योगप्रभाव मे चिलातीपत्र चोर गे संन योग का स्वरूप और महत्त्व ज्ञानयोग और जीवादिनी तत्त्व दर्शनयोग एवं चारित्रयोग का स्वरूप पांच महाव्रतों का स्वरूप पंचमहावतों की २५ भावना उत्तरगुणरूप चारित्र ईर्या आदि पांच ममितियां और तीन गुप्तियां मार्गानुसारी के ३५ गुणों पर विस्तृत ५० विवेचन मम्यक्त्व का स्वरूप और भेद मिथ्यात्व एवं उमके पांच प्रकार देव और संघ का स्वरूप, अदेव का स्वरूप ६४ गुरु का स्वरूप, अगुरु के लक्षण धर्म का स्वरूप अधर्म का लक्षण सम्यक्त्व के पनि लक्षण,और उनका स्वरूप १०२ सम्यत्क्व के ५ भूषण एवं ५ दूषण १०५ श्रावक के अहिंसा आदि पांच अणुव्रत १९० हिंसा के दुष्परिणाम अहिंसा का माहात्म्य ११२ अहिमा-पालन का उपदेश घोर हिंसक सुभूम चक्रवर्ती ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती का भोगमय जीवन १२२ हिंसक और हिंमा की निन्दा १४४ काल सौकरिक-पुत्र सुलस का अहिंमक १४५ जीवन, दर्दुरांकदेव का दृष्टांत हिंसाप्रधान कुशास्त्रों के उपदेशकों का अधम जीवन, हिंसापरक वचनों के नमूने १५२ अहिंसापालन का फल १५६ स्थूल असत्य का स्वरूप,उमके ५प्रकार व फल १६० सत्य पर दृढ़ कालिकाचार्य असत्य निर्णय से वसूगजा की दुर्दशा १६६ ६९
SR No.010813
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmavijay
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year1975
Total Pages635
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size48 MB
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