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________________ १०१ बोलें १, केवलीपरूपित धर्मरो अवगुणवाद बोलें १, धर्माचार्यना श्रवगुणवाद बोलें ३, चतुर्विध संघना अवगुणवाद बोलें .. ४ च्यार प्रकारे देवता मनुष्यलोकमां थावें नही. देवता संबंधी कामनोगमें तलालीन में १, अनेरा राग सनेह बूटा में अने नाटक पमें में जघन्य दस दिन मशिम न महिना उत्कृष्टा दशहजार वरस तांश काल नाटकमें जायें जितरें पिजला सज्जना-. * कारो, थानखो पूरण हुवे ते नणी नही थावें १, च्यारसें तथा पांचसें जोजन खगें उगैप ऊबो ते नणी नही थावें ३, च्यारसें जोजन गंध पहिले बीजें थारें था श्री जाणवो मनुष्य थोमा मलमूत्र थोमो ते जणी च्यारसे जोजन गंध ऊब बा. की च्यार थारें वर्त्तता-जरत ऐरावतने,विषे मनुष्य घणा मलमूत्र पिण घण ते नः णी पांचवें जोजन लगे जुर्गध ऊबले ते नणी देवता नही. यावें ४. . १०३ ५ च्यार प्रकारे देवता, मनुष्यलोकमां श्रावें. श्राचार्य उपाध्याय थापरा उपगारीनुं वंदना नमस्कार रितिदिखानवाने यावें १, तपस्यारी महिमा करणने यावें.१,. तिबैंकरजीरे पाच कल्याणक महिमाने श्रावें ३, सज्जनादिकने सनेह रागे बंध्यो मि
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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