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________________ रोही पाप नदीरे धने वागले कने पाप नदीरावें ३, एक आपरोही पाप उदीरे नही अने वागला कने पिण पाप नदीरावें नही ४. ४ च्यार जातिरा पुरुष. एक थापरो पाप निर्धारे अने. पागला कने पाप निरावें ॥ नही प्रत्येकबुधियांनी परे १ एक पागला कने पाप निऊरावें परं आपणा निझरे । नही बनव्यनी परे २, एक थापराह पिण पाप निर्धारे अने पागला कने पिण निर्जरा तिके सामान्यसाधुजी ३, एक यापही आपणो पाप निमरे नही अनेरां नो पाप पिण नऊरावें नही तिके मिथ्यामति जाणवा ४. ४ च्यार सुखसघा. पहिलो सुखसिधा मुरादेवीमाता १, बीजी सुखसधा आदीश्वरजी जरतेश्वरजी २, तीजी सुखसधा सनत्कुमार चक्रवर्ति ३, चोथी सुखसधा गजसुकु-* मालजी ५. ४ च्यार केवलज्ञानीरा नाम. उपन्नणाण देसणधरे १, पर्दा , जिन ३, केवली.ए। ४ च्यार प्रकारे देवतारी गतिरो आयो जांणीजे. उदार चित्त १, सुखरकंठ १, धर्मरो रागी ३, देवगुरांरो रागी,
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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