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________________ ******************************** तिर्यच एवं १० रुकें तीन प्रकारें जीव ऊपजें कयसंचया एके समयमें संख्या ऊप १. कयसंचया ते एके समयमें संख्याता उपजें २, वसवए ते एकें समयमें एकदीन ऊपजैं ३. गर्भज मनुष्यमांदि २ प्रकारें ऊपजें. क्यसंचया १ व्यवत्तसन्धया २ च्या रथावर प्रसन्नी मनुष्यमांदि पकयसंचया जीव उपजें. वनस्पतिमांदि एकें समयमांदि नंता ऊपजें. १०५ ३ तीन योनि शीतयोनि १, उसनयोनि २, मिश्रयोनि ३. नारकी देवतारी शीत जसन योनि, गर्भज मनुष्य तिर्यचरी मिश्रयोनि च्यार थावर तीन विकलेंडी व्यसनीमनुष्य तिर्यचरी तीन प्रकाररी योनि. १०६ ३ तीन प्रकाररी योनि सचित्त १, व्यचित्त २, मिश्र ३. नारकी देवतारी चित्तयोनि बाकी सर्व मकै तीन योनि सचित्त व्यचित्त मिश्रयोनि. १०g ३ तीन प्रकाररी योनि नारकी देवता पांच थावरांरी संघुमायोनि तिका ढांकी १, तीन विकी सनी मनुप तिर्यचनी वियमायोनि २, गर्भज मनुष्य तिर्येचरी तीन योनि संबुमा ते ढांकी वियम ते उधामी, संबुमवियम ते कांश्क ढांकी, कांश्क बघा
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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