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________________ बत धन थालखो थोमो २५, मासकल्प सरीखा खेत्र थोमा २३, साधु श्रावकरी पमिमा विद जासी २४, याचार्य ते शिष्यने सूत्र थोमो नणासी २५, शिष्य ते कसह असमाधिना कारण होसी २६, समण थोमा अने मुंम घणा २७, श्राप था-|| पणी समाचारी गहरी जुदी जुदी होसी शश, मखेड राजा बलवंत होसी श्ए, हिं| राजा अल्प होसी ३०. साधुकी त्रीस उपमा. कासीके नाजनकी १, संखकी २, काबेकी ३, सोलमे सोने की ४, कमलरे फूलरी ५, चंधमाकी ६, सूर्यकी , पृथ्वीकी छ, मेरुपर्वतकी ए, स्व-|| यन्नूरमणसमुपकी १०, थमिकी ११, चंदणकी १२, बहके पाणीकी १३, वृषनकी * १४, हाथीकी १५, आसोजकातिके पाणीकी १६, सिंघकी १७, गेंमेकी १७, नारंमपं-|| खीकी १ए, सुनाघरकी २०, पाउणेकी २१, श्राकाशकी २२, सर्पकी २३, चकोरपंखी-* की २४ वायरेकी २५ जीवकी २६ वृदकी ७ नमरेकी श्ण मृगकी शए पारेवाकी. ३ || *|| ३० बोल त्रीस परम कल्याण. १ तपस्या करीने नीयाणो न करें तो जीवरो परम कल्या ण हुवें किणनी परे तामलीतापसनी परे, २ समकित नीरमलो पालें तोजीवरो परम
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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