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________________ ॥अथ वीस बोल लिख्यते ॥ || २६ बोल वीस प्रश्नोत्तर. १ कहो पुजजी कहो स्वामीजी श्यां घणा जीवांरी उत्पत्ति की सै पापरे उदेसुं. सुण सिष्य पुरखले नव घणाक मबरो याहार कीनो तिण पापरे नदेखें, १ कहो पुजजी श्ण जीवने नाणां गुणणो नही आयें सुं किण पापरे नदेखें पुखले जव आप नणीयो नही पेलने नणतां अंतराय दीनी तिण पापरे उदे सुं, ३ कहो पूज्य जीव कालो कुदरसण कीण पापरे नदेखें. पूरवले नव रूपरो अ-|| इंकार कीनो तिण पापरे नदेखें, ४ कहो पूज्य श्ण जीवने अजस अकीरती थावेसुं किण पापरे नदेखें सासु ससरेसे इसका कीना तिण पापरे जदेखें, ५ कहो पूज्य || ण जीवने कुमो कलंक आसुं. किण पापरे नदेखें पुरख नवे वारंवार कलह कीनो तिण पापरे उदेसुं. ६ कहो पूज्य श्ण जीवरो बोलायो चालीयो सुहावें नहींखें कि-|* ण पापरे नदेखें. पुरवले नव आपरो कियो थापीयो पेलैरो कियो तथापीयो तिण ||* पापरे नदेखें, कहो पूज्य श्ण जीवने शाबाशी जस मीलें नही सुं किण पापरे ||
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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