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________________ सद्गुरुनो वचन नही मानें तो जंची गतिनो टाटो पर्फे ब्रह्मदत्त चक्रवर्तिनी साख २२, ॥ साधु साधवी गुरु गुरुणीनी थाज्ञा उलंघे तो श्राराधकपणानो टोटो पमे सुकमाला खंधकजीनी साख २३, नगवानरा वचन उपरांत तर्क उठायने कहे तो शुक मार्गनो टोटो पमे जमालीजीनी साख २४. चोवीस जातीना देवता. १० नुवनपति असुर कुमार १, नाग कुमार , सोवन कुमार ३, विद्युत कुमार ४, अभिम कुमार ५, दीप कुमार ६, उदधि कुमार ७, दिशा कुमार ७, पवन कुमार ए,थणीय कुमार १०. या वाणव्यंतर पिशाच १ चुत १, जद ३, रादास ४, किंनर ५, किंपुरुष ६, महोरग, गंधर्व u, पांच ज्योतषि चंजमा १, सूर्य १, ग्रह ३, नदात्र ४, तारा ए, एकवेमाणीक १४. अतीत कालकी चोवीसीका नाम. केवलझानी १, निर्वाणी१, सागरजी ३, महायसजी ४, विमलजी, सर्वानुभुतिजी ६, श्रीधरजी, दत्तजी, दामोदरजीए, सुत्तेजजी १०, स्वामीजी ११, मुनिसुव्रतजी ११, सुमतीजी १३, शिवगतिजी १५, अस्तागजी १५, नमिस्वरजी १६, अनिलजी १७, यशोधरजी १०, कृतार्थजी १५
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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