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________________ पग धरें कहां तो ३, मर्यादासु अधिका पाटला जोगवे तो ४, गुरुके सामो बोलें तो ५, बहुश्रुतिजीकी घात चिंतवें तो ६, बके सामो बोलें तो , वारवार क्रोध करें तो, पीठ पूरे गुणवंतका अवगुणवाद बोलें तो ए, निश्चेकारीलाषा बोलें तो १० नवो कलह करें तो ११, कलहकुं क्षमाया हुवें फिर फिर जदीरे तो १२, थकाखे सिशाय करें तो १३, सचित्त रजसुं खरड्यो होय विना पूंजे उठे बेठे चले तो १४, ||* पहर रात्री उपरांत गाढे शब्दे बोलें तो १५, वाखार च्यार तीर्यमें कलह करें तो तः || था सर्व प्राणीजूतनी घात चिंतवें तो १६, रेतुं बोलें तो १७, कायके जीवांकुं य. समाधि उपजावें तो १७, सवेरेका थाहार लावें स्यामतां नोगवे तो १५, एषणा कुमती थाहार नोगवे तो २०. *॥ २० वीस विहरमान नाम. सीमंघरजी १, जुगमंधरजी १, बाहुजी ३, सुबाहुजी ४, सुजात जी ५, स्वयंपनजी ६, ऋषनानंदजी, अनंतवीर्यजी , सूरप्रमुजी ए, 'विशालजी १०, वज्रघरजी ११, चंडानंदजी १२, चंबाहुजी १३, सुजंगजी १४, इश्वरज। १५, | नेमप्रनजी १६ वीरसेनजी १७ महानजी १०.देवजसाजी १एअजितविर्य स्वामीजी ।
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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