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________________ ~~~~CAK ****************@** Rear देवता नारकीमें न ऊपजें २, ध्यायंतिय मर्ण मनुष्य मर कर मनुष्य में ऊपजें तिर्यच मर कर तीर्थचमें ऊपजें ३, बलमर्ण व्रत नागीने मरे ४, वसम इंडीया बल मरें ए, छांतोलमर्ण पाप विना आलोयण मेरे ६, तदजवमण, प्रबालमवतीम प, पंमितमर्ण चोराशी लाख जीवायोनी के साथ खामणा करके मरें ए, बाल पंमित मर्ण मिश्रपणे मर्ण १०, बद्मस्थ मर्ण ११, केवली मर्ण १२, बेदास मर्ण फांशी लगा कर मरे १३, गिद्धपिठ मर्ग जनावरके कलेवरमांदे प्रवेश दोय कर मरें १४, जत्त पच्चरकाण मर्ण यादारत्याग कर मेरे १५, संगीतमर्ण च्यार • यदार त्याग कर मरें १६, पाडुगमनमर्ण संथाराका म १७. ३ १७ तेंद्रियना ११ नेद. कानखजुरा १, मांकम २, जू ३, कीमीयो ४, उद्देदी ५, मक्कोमा ६, इल 9, घीमेल, सावा ए, गोकीमा १०, गद्ददीया १९, विष्टाना कीमा १२, गोवरना कीमा १३, धनेरिया १४, कुंथुच्या १५, गोपालीक १६, इंद्रगोप १७. ११ सत्तरे बोल प्रस्ताविक जो तुमकुं दुःखोका जय होय और सुखनी अभिलाषा दोय ย तो धर्मरूपी कल्पवृक्ष सेवो १, धर्मकी जम विनय और पापकी जम व्यसन यह को
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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