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________________ 49693++£3+£63*****99***99*9893986934 १४ वमी चोवदद विद्याका नाम. नजोगानिनी १, परकाय प्रवेशनी २, रूप परावर्त्तनी ३, स्तंभनी ४, मोहनी ए, सुवर्णसिद्धि ६, रजत सिद्धि 9, रससिद्धि छ, वंधथोजिनी ए, शक पराजयनी १० वशीकरणी ११, भूतादि दमनी १२, सर्व संपत् करी १३, शिवपद प्रापणी १४. १५ १४ वक्ताना चवदद गुण लिखतें है. प्रश्नव्याकरणोक्त शोल बोलनो जाए पंमित दोय १, शास्त्रथी विचार जाणे २, वाणीमांदे मीठाश होय ३, प्रस्ताव व्यवसर जलखें ४, सत्य बोलें ९, सांजलने वालाका संशय दूर करें ६, छानेक शास्त्रवेत्ता गीतार्थ उपयोगी होय 9, अर्थने विस्तारी तथा संवरी जाणें प, व्याकरणरहित बतां कंठनी भाषामें पिण छापशब्दन बोलें ए, वचनसें सभाजनने दर्ष करें १०, प्रमार्थ ग्राहक ११, निमानरहित १२, धर्मवंत १३, संतोषवंत १४. ए चवदे वोलका जाणकार होय सो वक्ता जाणना. १४, श्रोताका १४ गुण. भक्तिवंत १, मीठाबोला २, गर्वरहित ३, सांजलवा उपर रुचि ४, चंचलतारहित एकाग्रचित्ते सुर्णे जर घारें ए, जैसा सुपें वेसा प्रगट अदर कहे ६, १०
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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