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स्कृष्टो ऊपरती नव प्रैवेयकमे १, अविराधक साधु जघन्य पहिले देवलोक उत्कृष्टो २६ देवलोकमें २, विराधक साधु जघन्य नवनपति उत्कृष्टो पहिले देवलोकमें ३, अविराधक श्रावक जघन्य पहिले देवलोकमें उत्कृष्टो बारमें देवलोको ४, विराधक श्रावक जघन्य नवनपति उत्कृष्टो ज्योतिषी ५, असन्नी तिर्यंच जघन्य नवनपति ज. त्कृष्टो वाणव्यंतर ६, बालतपसी जघन्य नवनपति उत्कृष्टो जोतिषी ७, कुतुहलीयो साधु जघन्य नवनपति उत्कृष्टो पहिले देवलोक , प्रवार्थक त्रिदंमीया जघन्य नवनपति नत्कृष्टो पांचमे देवलोक ए, निन्दवजमाली जघन्य नवनपति बळे देवलोक | हेकिलमेषी १०, सन्नी तिर्यंच जघन्य नवनपति उत्कृष्टो पाठमे देवलोक ११, श्राजीवकामति गोसालो जघन्य सौधर्म उत्कृष्टो बारमे देवलोक ११, अन्नियोगी साधु जघन्य नवनपति उत्कृष्टो वारमे देवलोकं १३, खलिंग साधु दर्शणविवनगा जघन्य
नवनपति उत्कृष्टो उपरली ग्रीवेकमां १४. है| १५ श्रवनीतके १४ बोल. बार वार क्रोध करें ते अवनीत १, प्रतिबंधका क्रोध करें ते श्र
वनीत २, मित्रकी मित्राई गमे तो श्रवनीत ३, सूत्र नणी मद करें तो अवनीत ५ ||8||
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