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________________ ॥ अथ ग्यारमा बाल लिख्यते ॥ ११ ग्यारह श्रावककी पमिमा. लोकिक लोकोत्तर मिथ्यात्व चलें शुध सम्यक्त पालें १, ||* व्रत पञ्चकाण शुरू पालें दोय वखत सामायक पमिकमणा करें महीनेमें ६ पोसा ||* करें न्हावें नही धोवें नही धोतीकी लांग देवें नही १, रात्रीनोजन करें नही ३, दि-|| नका ब्रह्मचर्य पालें रातकी मर्यादा करें ४, कालसग्गध्यान करें ५, दिन रातका बह्मचर्य पालें ६, संचित्त त्यांग करें , श्रारंन करें नही , थारंन करावे नही ए, रिन करतेने अंनुमोदे नही १०, साधुकी तरे विचरें गोचरी करें माथे सिखा राखें । लोच करावें ११... विधि-पहिली पमिमा १ मांस तपस्या करें एकांतरे पारणो करें सम्यक्तंबत निर्मला पालें इसीतरे जितनी पमिमा नुतनीहि तपस्या करें जैसे | श्यारमी पनिमा ११ मास तक तपस्या करें ११.दिनांसु पारनो करें लिया वृत पं चेकाण निर्मला पालें. १ ग्यारे श्री वीरना गणधर. इंति १, अमिति ५, वायुति ३, व्यक्त ४, सुधर्मा ।
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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