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पाणीरा कझोला घणा बे, संसाररूप समुद्रमें नेहरूपीया कलोल घणा १, लवण समुमें वायरो घणो संसार समुष्में मिथ्यातरूप वायरो घणो ने ते जणी तिर सकें नही ३, लवण समुघमें कादो घणो ने संसार समुद्रमें रागषरूपीयो कादो % घण , लवण समुद्रमें किरामा घणा ने संसार समुद्रमें पाखंझ मतरूप किरामा धणाने ते नणी तिर सके नही ५, लवण समुद्रमें मोटा पर्वत ने संसार समुद्रमें श्राप कर्मरूपीया मोटा पर्वत बे ६, लवण समुद्रमें नान्हा..मोटा कलशा ने संसार समुद्रमें अगरह पापथानक तथा १९७ कर्म प्रकृतिरूपीया कलशा ने ते नणी तिर सकें नही ७, लवण समुद्रमें म क नक ग्राह मगर घणा बेतिम संसार समुद्रमें ईंटेंब पंखिार रूपीया मन कर घणा ते नणी तिर सके नही , लवण समुद्रमें सीप संख संघोटीया घणा में तिम संसार समुघमें कुगुरु कुदेव कुशास्त्ररूपीया सीप संख संघोटीया घणा ते जणी तीर शर्के नही ए, लवणसमुज्में उघ प्रवाह नारी में तिम संसार समुडमें कर्म कषायनो कदाग्रह नारी ३ ते नणी तिर शकें नही १०. तिण कारणे लवणसमुद्र तिरतां दोहिलो कदाचित देवतारे साहाय्य करी तथा रत्ना