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________________ ही पचावें नही पचताने अनुमोदे नही, धमिरा थाम्नसुं पचाववो ते पचन कहीजें ६, मोल पाणी वस्तु लेवें नही लेवरावे नही लेतांने अनुमोदें नही ए नव कोटी शुरु थाहार लेवें ए. ए नव प्रकारे मनपर्यवग्यानरो ऊपजवो. मनुष्यने १, गर्नजने २, कर्मचूमीने ३, संख्या ता वर्ष श्राऊखावंतने , पर्याप्ताने २, सम्यग्दृष्टिने ६, संजतीने , अप्रमादीने , ऋधिवंतने ए. ए नव विधिपरिग्रह. धन १, धान्य २, रूपो ३, सोनो ४, खेत्र ५, वास्तु ते ढांकी जमीन ___६, उपद , चापद , कुविधातु ए. ए नव प्रकारनो ऊदारिक संबंधीयो ब्रह्मचर्य. मनसु सेवें नही १, सेवावे नही १, सेव- । नाने अनुमोदे नही ३, वचनसु सेवें नही ५, सेवावें नही ५, सेवताने अनुमोदे नही | ६, कायासुं से नही , सेवा नह। , सेवताने अनुमोदे नह। ए. ए नव प्रकारे वैक्रिय संबंधियो ब्रह्मचर्य. नवे नेद उदारिकशरीरनी परे जाणवा. २५ ए नव प्रत्यनीक. श्राचार्यनो प्रत्यनीक १, उपाध्यायनो प्रत्यनीक , थिवीरनो प्रत्य
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
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