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। श्राठे बोले जीव धर्म नही पामें. घणो इसे तिको धर्म नही पाम १, सीनोखी ___दमें नही तिको धर्म नही पामें २, मर्ममोसो बोलें तिको धर्म नही पामें ३, श्रावक-
रावत पच्चकाण निर्मला पालें नही तिको जीव धर्म नही पामें , साधुरा । व्रत पचकाण निर्मला पालें नही तिको जीव धर्म नही पामें ५, रसरो लालची हुवें तिको जीव धर्म नही पामें ६, क्रोधी हुवे तिको जीव धर्म नही पामें, जूग.बोलो १ हुवें,तिको जीव धर्म नही पामें U.
१७ एकटो साधु तथा साधवी रहें तेहना श्राप अवगुण जापना. पहिले क्रोधी हुवें ते एकलो रहें १, बीजे अहंकारी हुवे ते एकलो रहें., तीजे कपटी हुवे ते एकलो* रहें ३, चोथे लोनी हुवे ते एकलो रहें ४, पांचमे पापमें रक्त हुवे ते एकलो रहें ५, बळे कतुहली हुवे ते एकलो रहें ६, सातमे धूर्त हुवे ते एकलो रहें , आग्में मारे * श्राचारनो धणी हुवे ते एकलो रहें .
- १० ७ आठ गुणारो धणी हुवे तिको साधु एकलो रहें. पहिले संयमने विषे दृढ रहें ते ||
पकलो रहें १, बीजे घणा सूत्ररो जाण हुवे तिको एकलो रहें १, जघन्य तो दश ,