SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 103
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५ पांच जातिरा रजोहरण. ऊनरो रजोहरण १, नंट जननो रजोहरण, मुंजरोर जोहरण ३, तृणांरो रजोदरण ४, वल्कलरो रजोहरण ५. ५ पांच प्रकाररा वस्त्र. पहिलो नरो वस्त्र १, पाटरो वस्त्र १, कपासरो वस्त्र ३, सिणरो वस्र , धर्कफूलरो वस्त्र ५. ५ पांच श–प्रा नाम. शक्रं १, वज्रपाणी,सतक्रतु ३, मघवान,४ पाकशाशन.५७ ५ पांच वोलरे सेवणवालासु थाहार पाणी गेमतां नगवंतरी आग्या अतिक्रमे नही.|| अकार्य करें आलोवें नही १, पायनित लेवें नही२, प्रायजित लेश्ने घरीने राखें ३, प्रायजित पूरो क्हें नही ४, गुरांथीकी उपरांगे वहें ५. पांच कारणे एकलो साधु एकली साधवी नेला रहें तो नगवंतरी याज्ञा यतिक्रमे नही. मुर्नदकाल पमीयांसुं मार्गमांहि बटवी पेले नगर जावतां एक दोय रातिरा नेला रहें तो नगवंतरी धाग्या अतिक्रमे नही १, नगरमाही थानक नही मीलें तो नेला रहें नगवंतरी धाग्या अतिक्रमे नदी १, विहार करतां सूर्य बाथम गयो हुवें तो नागजदकुमाररे देहरामाही रहें तो नगवंतरी वाग्या. अतिक्रमे नही ३, साधु
SR No.010805
Book TitleChattrish Bol Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Bherudan Sethia
PublisherAgarchand Bherudan Sethia
Publication Year1916
Total Pages369
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy