SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 133
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भवभावना प्रकरण आरम्भे अघलाख्यानकम् अथ अघलाख्यानकमुच्यतेछगलउरं नाम पुरं पसुप्पिओ पसुवइ व्व जत्थ जणो। छागलिओ नाम तहिं एको परिवसइ वाणियओ ॥१॥ म अचंतमहामिच्छादिट्ठी वि हु असुयसाहुवयणो वि । जो 'सुद्धधम्मगहणं काउं वियरइ परेसि पि ॥२॥ तह दूरगयारंभो निचमहारंभकरणनिरओ वि । विक्केइ छालियाओ लक्खं गुलियं च दंते य ॥३॥ उक्खलमुसले लोहं घरदृनिस्साहसयलसत्थाई । चित्तयचम्मं कट्ठ महुमयणतिलाई धन्नाइं ॥४॥ गेण्हइ विकिणइ सया करेइ नह मजविक्कयं निच्चं । कारेइ उच्च्छुचाडे विढवावइ पोसिइत्थीओ ॥५॥ विकइ गोमणुयाई वणसंडे खंडिऊण तह चेव । खेत्तेसु हलसयाइं वहंति तह वाणिउत्तेहिं ॥६॥ सगडाई पवहणाई वाहावइ निकसेइ इंगाले | चमरीकेसे पुइसाइए य विकिणइ निचं पि ॥७॥ तत्तो लोओ पणभइ पावयरेणावि केण विन एसो । आरंभेण घलिज्जइ पेच्छह वणिओ असंतुट्ठो॥८॥ इय जायम्मि पवाए सयलपुरे अन्नया पवड्दंते । अचंतमहालोभम्मि पेसिया तेण पावेण ॥९॥ याहिम्मि बह पुरिसा वित्तिं दाऊण ते य आणंति । कागीणं मोरीणं कुक्कडिबगिसारसीणं च ॥१०॥ १. सद्धम्मग्गहणं-ने०J.॥
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy