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औरन करत कल्याण, आप सर्व कल्याणमय । सोई सिद्ध महान, मंगलहेतु नमू सदा ॥५२॥
• ॐ ह्री णमो स्वस्तिसिद्धाण नमः अध्यं । तीन लोकके पूज, सर्वोत्तम सुखदाय है। जिन सम और न दूज, तिनपद पूजों भावयुत ॥५३॥
ॐ ह्री अहं सिद्धारण नमः मध्य । - लोकोत्तम परधान, तिन पद पूजत हैं सदा । तातै सिद्ध महान, सर्व पूज्य के पूज्य हो ॥५४॥
ह्री प्रहं सिद्ध सिद्धाण नमः अयं । परम धरम निज साध, परमातम पद पाइयो । सोई धर्म अबाध, पूजत हमको दीजिये ॥५॥
__ॐ ह्री परमात्मसिद्धाण नम मध्यं ।। सन ऋद्धि नव निद्ध, सिद्ध भये नहि सिद्ध हो। निजपद साधत सिद्ध होत सही तिनको गमो ॥५६॥
ॐ ह्री परमसिद्धारण नमः अध्यं ।
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