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जितने दुख संसारमे, तिनको वार न पार । सिद्ध इक तुम ही जानो सही,ताहि तजो दुखमार ली है fuनागनाय नम: वि० सब विद्याके बीज हो, तुम वाणी परकाश। ३६५ | सकल अविद्या मूलतें, इक छिनमें हो नारा लोगों का नाम नम.पणे ७६..
पर निमित्तसे जीवको, रागादिक परिणाम। तिनको त्याग सुभाव,राजत है सुखधाम ॥ोपमाहापनम, पायं 13 ६ अन्तर वाहिर प्रबल रिपु, जीत सके नहीं कोय । निर्भयअचल सथिर रहै, कोटि शिवालयसोय॥ी पनगाय नम' artist घन सम गर्जत वचन हैं, भागे कुनय कुवादि । प्रबल प्रचंड सुवीर्य है, धरै सुगुरण इत्यादि ॥दी पहें BETAIT नम पर्ण 10७. पाप सघन वन, दाह दव, महादेव शिव नाम । अतुल प्रभा धारो महा, तुम पद करूं प्रणाम पोपट माननम:प्रय 1531 तुम अजन्म विन मृत्यु हो, सदा रहो प्रविकार । ज्योंके त्यो मरिण दीपसम,पूजत हूँ मन धारापह परामरा (नाय नम
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