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सिद्ध
शरणागत दुखनाशन महान, तिहुँ जगहित कारण सुख निधान ।। शिवमग प्रगटन आदित्य सूर, हम शरण गही पानंद पूर ॥२४७॥
ह्री सूरिश्रिजगन्मंगलशरणाय नम अध्य। तिहुँ लोकनाथ तिहुँ लोक पूज्य, शरणागत प्रतिपालन प्रदूज्य । शिवमग प्रगटन आदित्य सूर, हम शरण गही आनंद पूर ॥२४८॥
ॐ ह्री सूरित्रिलोकमण्डनशरणाय नमः अध्यं । अव्यय अपूर्व सामर्थ युक्त, संसारातीत विमोहमुक्त । शिवमग प्रगटन प्रादित्य सूर, हम शरण गही आनंद पूर ॥२४६॥
ॐ ह्री सूरिऋद्धिमण्डल शरणाय नम अध्यं ।
योटक छन्द। जिन रूप अनूप लखें सुख हो, जगमे यह मंत्र महान कहो। धरि भक्ति हिये गरगराज सदा, प्रणम् शिववास करै सुखदा ।२५० पष्ठम् ___ॐ ह्री सूरिमंत्रस्वरूपाय नमः अध्यं ।
पूजा जिम नागदेव वश मंत्र विधि, भव वास हरण तुम नाम निधि । धरि०४ २०६
ॐ ह्री सूरिमंत्रगुणाय नमः अध्यं ।।३५१॥
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