________________
शपदे
श्रीउपदे- है गुणकलिया। अइवलंहावि वाला एसा संपेसिया तुम्ह ॥ १२३ ॥ नय एयाए राओ जाओ अन्नेसु रायकुमरेसु । कमला
शवकलाजयरं पमोत्तुं कत्थ व कमला रई कुणउ? ॥ १२४ ॥ ता एयाए पाणिं पणईयणपणयपालणप्पवण!। गिण्हित्तु तुमं वतीनिट
सुपरिस! करेसु मणनिधुई अम्ह ॥ १२५ ॥ण कयाइ दिद्वपुर्व एयाए विप्पियं ममाओवि । ता तह करेज जह मे ण नम्॥३४५॥
* सरइ करिणिव विझस्स ॥ १२६ ॥ किं वा कुलुग्गयाणं पुरओ परिजंपिएण बहुएण? । पडिवन्नवच्छला ते सभावओ चेव
जं होति ॥ १२७ ॥ आइक्खिऊण एवं विरए मंतिम्मि णिउणभणियंपि । पडिभणइ संखराया संखो इव महुरनिग्योसो
॥१२८ ॥ अवो! किंपि अउबं सोजन्नं विजयणरवरिंदस्स । अम्हाणंपि गुणेहिं रंजिजइ जेण से हिययं ॥ १२९ ॥ जइ * बालयावि अम्हे जणगविओगेण णिवपयं पत्ता । किं तित्तिएण गुणिणो जाया उत्ताणमइणोवि? ॥१३०॥ घणगुणरसपुॐ नाई पुरिसफलाई हवंति परिणामे । तरुणाई णिग्गुणाई सउणाण मणं ण रंजंति ॥ १३१ ॥ अहवा ।-दोसेवि गुणे च्चिय टू
परजणस्स पेच्छंति उत्तमा लोया । छायाहरणंपि ण मुयइ हिमकिरणो लंछणं जेण ॥१३२॥ जाणंति पियं चिय वोत्तुमुत्तमा अमयमुत्तिणो णूणं । किं अमयाओ अन्नं झरिउं मयलंछणो मुणइ? ॥ १३३ ॥ ता तस्स पुहइवइणो णिकारणवच्छलस्स गुणनिहिणो । कह न करिस्सामि अहं वयणं णणु जणयतुल्लस्स? ॥१३४ ॥ अह जयसेणकुमारो पभणइ दत्तं समागयं हरिसा । अजम्ह तुम्ह वयणे सविसेसं पच्चओ जाओ ।।१३५ ॥ जओ । एरिसमणुद्धयत्तं एसो नयसुंदरो वयणविहवो। दक्खिन्नविणयउचियन्नुयाओ देवे अउवाओ॥१३६॥ तहवि न तोसो नियगुणगणेसु परगुणथुईसु अणुराओ। 8/॥३४५॥ 5 अहवा एरिसयच्चियमहाणुभावा जओ भणियं ॥ १३७ ॥ भरियभुवणंतरेहिं गुणेहिं णियएहिं कुंदधवलेहिं । बहु तुसंति न
6OSSESSO
हाणुभावा जो भणिय माओ॥ १३६॥ तहविनाओ। एरिसमणुद्धयत्त मामा