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नियतस्स ? ॥ ८५ ॥ इय भाविय गुणदोसं पत्ताई दोवि मंदिरे ताई । जाओ सयणाणंदो परितुट्ठो पुन्नसम्मो वि ॥ ८६॥ भणिओ य सुंदरीए पिययम ! एएण भाउणा अहियं । जत्तेण मोइया रक्खिया य कूराण सवराण ॥ ८७ ॥ ता एस महासत्तो उवयारी अम्ह पल्लिवासीवि । एयस्स य जं उचियं तं जाणइ पिययमो चेव ॥ ८८ ॥ भणियं च पुन्नसम्मेण भद्द ! तुम्हरिसस्स विउसस्स । छज्जइ न पल्लिवासो हंसस्सव कायसंवासो ॥ ८९ ॥ ता चिट्ठ इहेव तुहं पूरिस्सं जं न पुज्जई तुज्झ । इय वयणामयसित्तो चिंतइ लज्जोणओ सोवि ॥ ९० ॥ गंभीरिमतुंगिममहुरवाणिरूवाणि ताव एएण । रयणायरसुरगिरिवणसवाइमयणाण गहियाई ॥ ९१ ॥ अण्णासंभवि एवं सोजण्णं पुण ण याणिमो कत्तो । खलसेहरेवि जं मारिसम्मि इय पेसलालावा ॥ ९२ ॥ अहवा ॥ णियगरिमगुणेण मुणंति णेय खुद्दाण विलसियं गरुया । निवडंति तणोत्थयकूवियासु तुंगावि मायंगा ॥ ९३ ॥ हा कह कओ निरत्थो भए अणत्थो इमस्स सुयणस्स । फोडेइ विरालो लोलाए सारंपि उत्तिवडं ॥ ९४ ॥ यारिसं पमोत्तुं किं रज्जइ सुंदरी मइ अभवे । किं कमलायरलच्छी अक्कवणे कत्थई रमई ? ॥ ९५ ॥ निउणा इमीए बुद्धी जं एवं पालियं नियं सीलं । अहयंपि पडतो पावपावए वारिओ विहिणा ॥ ९६ ॥ गरुयावराहगहिओ जइ एत्तो नीहरेज्ज जीवंतो । भुज्जो एवंविहदुन्नएसु ता नेव वट्टिस्सं ॥ ९७ ॥ अह मज्जणवेला वट्टइत्ति किंकरगणेण विन्नत्तो । आमंतिऊण इयरं समुट्ठिओ पुन्नसम्मोवि ॥ ९८ ॥ अभंगुबट्टणमज्जणाई कारावियाई एय स्स । पढमं खु पुरोहियनंदणेण पच्छा सदेहस्स ॥ ९९ ॥ दाऊण चुक्खजुयलं विहिणा कयभोयणाइकायद्या । गमिऊण दिणं सुत्ता रयणीए उचियसेजाए ॥ १०० ॥ अवराहित्ति ससंको न लहरं निद्दं तहावि वेयरुई । अइतरलतारनयणो