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प य मविप्नाणा ॥ १९१॥ ववहारविसंवाए ते तुह सक्खी, निये इओ सबो । तेसिं दोहिवि कन्नादाणगहणाण
कालेण निए देसे संपत्ता दोवि पत्थुए दाणे । कन्नाए सयणमहिलाईलोयवसओ विलोट्टो सो ॥ १९३॥1. कामत्तमकरजायं कहमुत्तमस्वसंपयं चेव । नियधूयं तव मिञ्चस्स मे मणो दाउमुच्छहइ॥ १९४ ॥ ता मुंच बडयरमिम भी मियग! महाए सिज मा एवं । इय पडिसिद्धो मो तेण रायपासं समल्लीणो ॥ १९५॥ कहिओ वुत्तंतो जह इमेण: निरुपण मे दिण्णा । नियधूया सक्खी को इमम्मि कजम्मि ते अत्थि? ॥ १९६ ॥ देवत्थि को पुणो सो, जीवगनामा विहंगमा कत्थ । ते सति भणइ निवई, भियगो ते देव ! परकूले ॥ १९७ ॥ आणिजंतू ते इह, छिज्जइ जेणेस तुम्ह वच-16 हारो। तत्य गो सो भियगो आणीया पंजरंतरगा ॥ १९८॥ विरलीकयम्मि लोए पुट्टा ते निवइणा जहा तुम्भे । एत्था पमाणं भणिया ता भणह जमेत्य सच्चंति? ॥ १९९ ॥ किमिभोयणाण तेसिं पुराणछगणे विरेल्लिए संते । जे किमियो पायभावमागया दरिसणेणेमिं ॥ २००॥ नियचंचुचालणाओ तहा कओ तेहिं कोइ संकेओ। जह अलियभासगनरा भवंतरे हॉति एरिसगा ।। २०१॥ अइकुहियछगणभक्खणपरायणो एरिसो इमो होही। जो नीयजीहाए पयंपिऊण चुकत्तणं यहा।। २०२॥ लद्धा कन्ना भियगेण सोवि वणिओ जणाओ धिक्कारं । पत्तो दिहो तग्गुरुजणेण तह चेव पडिसिटो ।। २०३॥ एवं थेवपएम गरहिं दिवो य छिन्नकरचलणो। आरक्खिएहिं एगो पुरिसो तिलतेणओ नाम ॥ २०४॥ दगो पुण एवं जाओ महिला एगा अहेसि तम्मि पुरे । अइवल्लहेगपुत्ता तजम्मिच्चिय पहीणपई ॥ २०५॥ तरुणत्तणमणु
पत्तो सो पुत्तो तीए अन्नया प्रविओ । उदउल्लसरीरो चिय ओइण्णो हट्टसंवद्दे ॥ २०६॥ कहमवि गोणेण समत्थएण
CREASURCRACT
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