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संतो । नेइ नियो नियभवणं कारावर मज्जण्णाईणि ॥ ४३४ ॥ भुतत्तरम्मि दिण्णाउ अट्ठ कण्णाउ तेण कुमरस्स । सुपसत्यवामरम्मिय विहिओ वारिज्जओ तासिं ॥ ४३५ ॥ कइवयदिणा जहासुहमिय चिताण अन्नया एगा । महिला | आगम्म कुमार अंतियं इय समुहबइ ॥ ४३६ ॥ कुमर ! त्थि इहेव पुरे वेसमणो नाम सत्थवाहसुओ । धूया तस्स सिरिमई मा य मए बालभावाओ ॥ ४३७ ॥ आरम्भ पालिया जा तुमए करिसंभमा सुहय! तइया । रक्खियपुधा सा तुज्झ | घरिणिभावं अभिलसइ ॥ ४३८ ॥ तइयच्चिय जीवियदायगोत्ति तं साहिलास दिट्टीए । अवलोइओ चिरं तीए किज्जउ ता मगरम पियं ॥ ४३९ ॥ वोलीणे हत्थिभए णीया कहकहवि परियणेण गिहं । तत्थवि न मज्जणाई देहठि काउमभिल| मइ ॥ ४४० || कीलियमुव केवलमच्छर परिचत्तवयणवावारा । पुत्ति ! अकंडे तं कीस एरिसं पाविया वसणं ? ॥ ४४१ ॥ इय भणिए सा साहइ तुझं सर्व पयासणिजं मे । लज्जा इत्थवरज्झइ जइवि तहावि य भणामि अहं ॥ ४४२ || रक्खसरू - वाउ तओ करिणो नियपाणदाणओ जेण । परिरक्खिया समं तेण पाणिगहणं जइ न होही ॥ ४४३ ॥ ता मे अवस्स| मरणं सरणंति तओ निसामि कहिओ । पिउणो इमीइ सद्यो वृत्तंतो तेणवि समीवे ॥ ४४४ ॥ तुम्हमहं पेसविया बालमिमं ता पडिच्छसु तुमं ति । कालोववन्नमेयंति मन्निया सावि वरघणुणा ॥ ४४५ ॥ तहमच्चेणवि दिण्णा कण्णा नंदाभिहाणगा विहियं । वीवाहमंगलं जंति वासरा दुहवि सुहेण ॥ ४४६ || सबकलंकविमुक्का उच्छलिया सबओ विय पत्ती । जह पंचालनित्रसुओ सवत्थ जयं उवलभंतो ॥ ४४७ ॥ हिमवंतकाणणगओ जहा गइंदो निरंकुसो भमइ । वरघणुणा धणकुलनंदणेण अणुगम्ममाण हो ॥ ४४८ ॥ वाणारसिं गया ते अहन्नया ठाविडं वहिं कुमरं । कडयाभि