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कमेण अपराओ य तह समरकेऊ य ॥ ५ ॥ अहिसित्तो जुवरज्जे सयलकलाजलहिपारमणुपत्तो । अपराइओ कुमारो मारोयमसुन्दरागारो ॥ ६ ॥ दिना पुण उज्जेणी कुमारभुत्तीए समरकेउस्स । एवं गच्छंतेसुं दिणेसु कइयावि भूवालो ॥ ७ ॥ एको तसविलोलकारओ भूरिरोसओ जाओ। रन्नो लद्धाणुन्नो अपराइओ य तज्जयनिमित्तं ॥ ८ ॥ चउरंगवलसमेओ गओ रणं तेण दारुणं लग्गं । परिखुद्धजल हिकल्लोलसरिस सेन्नस्स तस्स लहुं ॥ ९ ॥ उद्दंडकंड पक्खेवठ इयनहमंडलं भिड़ंत । उभडकर डिघडाडोव विहडियासेस परचकं ॥ १० ॥ निसियद्धचंदसंदोहवाहच्छिजंत चिंधझयछत्तं । उम्मुकभेरवारावनियर मद्दीक यदि सोहं ॥ ११ ॥ अचुग्गग्ग परिहम्ममाणनञ्चंत उद्धुरकधं । जमनयर परिसरसमं वीभच्छमपेच्छणीयं च ॥ १२ ॥ तत्थोवलद्धजयसिरिसंगो तत्तो नियत्तमाणो सो । पासइ खिईपइट्टियनयरे सूरिं कयविहारं ॥ १३ ॥ राहाभिहाणमुज्जलचरणं सुविसुद्धसुयमणिनिहाणं । तस्संते सुयधम्मो सम्मं च भवा विरत्तमणो ॥ १४ ॥ वत्थंचलग्गलग्गं व तणमसेसंपि रजसिरिमेसो । परिवज्जइ सज्जो वज्जसारचित्तो विहियकज्जे ॥ १५ ॥ उवलद्धदुविहसिक्खो णिचं | गुरुचरणतामरसभसलो । कुसलासओ विहारं धरायले कुणइ सवत्थ ॥ १६ ॥ राहायरिया तगराए आगया अन्नया विहारेण । तश्या नयरी नवघणधारासित्तव गिम्हमही ॥ १७ ॥ उग्गयवेरग्गंकुरपूरा वाढं मणोहरा जाया । विज्झायकसायदवग्गिदाहवाहा तहा झत्ति ॥ १८ ॥ उज्जेणीओ पुरीओ तस्संतियमागयं च साहुजुयं । तगराए पडिवत्ती साहहिं जहोचिया विहिया ॥ १९ ॥ समयम्मि सूरिणा पुच्छिया तचेइयाण संघस्स । कुसलपउत्ती तेहि य निवेइयं जिणघरेसु जहा ||२०|| उस्सप्पति वराओ पूयाओ निक्खमंति य रहाओ । ठाविज्जंति नवाओ जिणपडिमाओ य सुगुरूहिं ॥२१॥