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ESSEISTISSOS
शाहियमिणं दुर्ततं सोउमुम्मणो कुमरो। जाओ रयणवईए उवरिं अणिभालियाएवि ॥ २८१॥ डज्झइ नलिणीदलसत्थरेवि
चंदणरसेण सित्तोवि । सो तिवविरहजलणालिद्धो णो णिव्वुई लहइ ॥ २८२ ॥ अन्नम्मि दिणे पुरवाहिराउ देसाउ वरसाधणू कुमरं । आगम्म भणइ णो इह तुम्हमुवट्ठाणमुइयं ति ॥ २८३ ॥ जम्हा कोसलवाणा दीहेण गवसणाकए तुज्झ ।
इह पुरिसा पेसविया कओ य पुरसामिणा जत्तो ॥ २८४ ॥ सपत्तो अम्ह गवसणम्मि इय सुम्मए जणे वाओ। तो णायवइयरेणं सागरदत्तेण भूमिहरे ॥ २८५ ॥ संगोविया दुवेवि पत्ता रयणी दिसाउ तिमिरेण । आपूरियाउ कज्जलको
इलकुलनीलवण्णेण ॥ २८६ ॥ भणिओ य सेद्विपुत्तो कुमरेण जहा तहा कुणसु अम्हं । जह एत्तो निग्गमणं सिज्झइ जालहुमेव एयं च ॥ २८७॥ सोऊण सेट्टिपुत्तो सागरदत्तो विणिग्गओ नयरा । तस्सहिओ भूभागं तिण्णिवि थेवं गया 1६ जाय ।। २८८ ॥ सागरदत्तं कहकहवि ठविय ते दोवि गंतुमारद्धा । तीए च्चिय नयरीए वाहिं जक्खालयसमीवे ॥२८९॥
घणपायवंतरालट्ठियाइ एयाइ तरुणमहिलाए । णाणाविहपहरणभरियरहवरासण्णपत्ताए ॥२९०॥ दहं सायरमन्भुट्टिऊण भणियं चिराउ किं तुन्भे । एत्यागया तओ तं निसुणेत्ता भणियमेएहिं ।। २९१ ॥ भद्दे! के अम्हे सावि भणइ | किल बंभदत्तवरधणुणो । कहमेयमुवगयं ते सुम्मउ ता तीइ पडिभणियं ॥ २९२ ॥ एत्थेव पुरे सेट्ठी धणपवरो नाम
भारिया तस्स । धणसंचयाभिहाणा जाया कुच्छीइ तीइ अहं ॥२९३॥ अट्ठण्हमुवरि पुत्ताण पत्तजोव्वणभराइ नो कोवि । समयद वरो तयह जक्खस्साराहणं विहियं ॥२९४॥ तेण य महभत्तिपरवसेण पञ्चक्खएण होऊणं। भणियं वच्छे ! जह तुह
भविस्सई चकवहिपई॥ २९५॥ नामेण वंभदत्तो मए कहं सो वियाणियवो त्ति । भणियमणेण पयट्टे कुकुडजुज्झम्मि