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!भणिओ तेणुभडभिउडीभीमभालेण सुकयत्यो॥ १२४ ॥ अजं चिय तं जाओ विसुद्धवंसुव्भवो य तुममज्ज । जं वालकालपालियवएहिं एएहिं सह भोत्तं ॥ १२५ ॥ गंतूर्ण गुरुपासे सीसोपालंभमाह चाणको । जा ता गुरुणा भणिओ तइ सासणपालगे संते ॥ १२६ ॥ एए छुहापरद्धा निद्धम्मा होउमेरिसायारा । जं जाया सो सबो तवावराहो न अन्नस्स ॥ १२७ ॥ लग्गो पाएसु इमो खामह अवराहमेगमेयं मे । एत्तो पभिई सचा चिंता मे पवयणस्सावि ॥ १२८ ॥ जाओ मणे चमको एसो चाणकयस्स जह एवं । बहुजणविरोहपत्तस्स राइणो मा न कोइ विसं ॥ १२९ ॥ दिजा, तओ अलक्खियमग्गेण विसेण भाविउं लग्गो। तं जह खुद्दपउत्ताइं नो विसाई अभिभवंति ॥ १३०॥ निचं पासोवगओ तं भुंजायेइ अन्नया कहवि । नो पत्तो गम्भवईदेवीपासम्मि जेमेई॥१३१ ॥ इहे य तग्गासं अमुणियपरमत्थएण तेणावि। | अइपेमपरवसेणं दिन्नो नियथालओ गासो॥ १३२॥ जाहे सा सविसं तं जिमेइ ता ज्झत्ति परवसा जाया । चाणहाकरस निवेइयमेसो पत्तो य तुरियपयं ॥ १३३॥ नो एसावमणिज्जा गम्भो उयरम्मि जं मणे मुणइ । तकालकज्जदक्सो सत्थं सयमेव घेत्तूण ॥ १३४ ॥ उदरसरणिं विदारिय वहुपकं गन्भमप्पहत्थेहिं। गेण्हइ पुराणघय पुण्णरूवमझम्मि निक्खिवइ ॥ १३५ ॥ लद्धोवचयस्स कमेण तस्स नाम कयं जहा एसो । होउ इह बिंदुसारो जं विसविंदू सिरे । तस्स ॥ १३६ ॥ गव्भत्थस्स निवडिओन तत्थ रोमुग्गमो तओ जाओ। कालेण चंदगुत्ते निहणं पत्ते निवो स कओ
॥ १३७ ॥ पुव्वुत्थाइयनिवनंदमंतिणा एगयाय तच्छिदं । पावेत्ता नरवइणो सुवंधुनामेण भणियमिणं ॥ १३८॥ देव ! हानहु जइ वि तुन्भे पसायसवियासचक्खुणा वि ममं । पेच्छह तहावि तुभं हियमेवम्हेहिं वत्तवं ॥१३९॥ तुभ जणणी