________________
आयारदसा
मासिकी भिक्षु-प्रतिमा प्रतिपन्न अनगार के तीन गोचरकाल (आहार लाने के समय) कहे गए हैं, यथा
१ आदिम-दिन का प्रथम भाग, २ मध्य-मध्याह्न ३ अन्तिम-दिन का अन्तिम भाग । १ मासिकी भिक्षु-प्रतिमा प्रतिपन्न जो अनगार यदि आदिम गोचरकाल में
भिक्षाचर्या के लिए जावे तो मध्य और अन्तिम गोचर काल में न जावे । २ मासिकी भिक्ष-प्रतिमा प्रतिपन्न अनगार यदि मध्य गोचरकाल में भिक्षा
चर्या के लिए जावें तो आदि और अन्तिम गोचर काल में न जावे । ३ मासिकी भिक्षु-प्रतिमा प्रतिपन्न अनगार यदि अन्तिम गोचरकाल में भिक्षाचर्या के लिए जावे तो आदि और मध्य गोचरकाल में न जावे ।
सूत्र ६
मासियं णं भिक्खु-पडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स छविहा गोयरचरिया पण्णत्ता, तं जहा
१ पेड़ा', २ अद्धपेडा, ३ गोमुत्तिया, ४ पतंगवीहिया, ५ संवुक्कावट्टा, ६ गंतुपच्चागया।
मासिकी भिक्षु-प्रतिमा प्रतिपन्न अनगार की छः प्रकार की गोचरी कही गई है, यथा
१ पेटा, २ अर्धपेटा, ३ गोमूत्रिका, ४ पतंग-वीथिका, ५ शम्बूकावर्ता, ६ गत्वा प्रत्यागता। विशेषार्थ-१ पेटी के समान चार कोने वाली वीथी (गली) में गोचरी ___ करने को "पेटा गोचरी" कहते हैं । २ दो कोने वाली गली में गोचरी करने को "अर्धपेटा गोचरी"
कहते हैं। ३ चलते हुए बैल के पेशाव करने पर जैसी रेखाएँ होती हैं उसी प्रकार __ की वक्र गलियों में गोचरी करने को "गोमूत्रिका गोचरी" कहते हैं ।
१ पेला