SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री सगर चक्रवर्ती चरित्र. (एए) अर्थ-श्री ऋषनदेव प्रजुना परी तेमना वंशने विषे श्री अजितनाथ जिनेश्वरना पिता जितशत्रु राजा जेटला कालमां नत्पन्न श्रयाने तेटला कासमां (पचास क्रोम लाख सागरोपम कालमां) बीजापण असंख्याता पृथ्वोपतियो थइ गया ॥७॥ तेनए शुं करचुंडे ? ते नीचेनी गायाथी कहे जे. ननितु रऊलविं, पवश्या केवि सिवपुरं पत्ता॥ . सबबपञ्चमवरे, अवरे ते वंदिमो सिरसा ॥७॥ अर्थ-तेमांयी केटलाक तो राज्यलक्ष्मीने त्यजी दइने दीदा धारण करी मोक्षपुरने पामेला डे अने बाकीना सर्वार्थसिइ वैमाने प्राप्त थया . ते सर्वेने हुं मस्तकवझे नमस्कार करुं दुं ॥ ७॥ नरत चक्रवर्ती संबंधी जे कांइ कहेवा, हतुं ते आगलनी गाथामां कदेवाइ गयुं . हवे बाकी रहेला चक्रवर्तीनी स्तुति एक गाधाथी कहे . तणमिव जरतपहुत्तं, चश्तु नरवश्सहस्सपरियरिए॥ निखंते नरनाहे, नमामि नवसगरपामुके ॥ ५॥ अर्थ-नरतत्रना प्रनुपणाने तृणनी पेठे त्यजी दश्ने हजारो नूपतियोथी परवरेला अने दीक्षा धारण करेला सगर विगेरे नव चक्रवर्ती राजाउने हुं नमस्कार करूंबु. आ गाथानी अंदर "नव" ए शब्द मूक्यो , ते नपरथी एम समजवायूँ के, चक्रवर्तीयो बार बे. तेमां प्रथम नरतनुं आख्यान आगल कहेलु . सुन्नूम अने ब्रह्मदत्त सातमी नरके गयेला होवाथी तेन वंदना करवाने योग्य नथी; बाकीना नव वंदना योग्य ने एज हेतुथी "नव” शब्द मूल्यो . हवे तेमां प्रथम सगर चक्रवर्तीनुं चरित्र कहेवाय बे. ॥श्री सगर चक्रवर्ती चरित्रम् ॥ साकेत नगरने विषे श्वाकु कुलमांनत्पन्न श्रयेला अने पापभीनय पामता एवा जितशत्रु अने सुमित्र नामना बे नाश्त राज्य करता हता. तेमां जितशत्रुराजाने विजया नामनी स्त्री हती अने सुमित्रने वैजयंती नामनी गुणवंत स्त्री दती. . एक दिवस विजया अने वैजयंती ए बन्ने स्त्रीयोए जूदा जूदा गजादि चौद
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy