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________________ थावच्चा पुत्रनी कथा... (३५) . पृथ्वी उपर विहार करता करता सेलकपुरना नद्यानमां आव्या. सूरिना श्रा। गमनने जाणी उत्तम साधुना गुणमां आसक्त श्रयेला सेलक राजाए परिवार सहित त्यां जर तेमने वंदना करी. पठी सुगुरुना नपदेशरूप अमृतनुं पान करीने वैराग्यना रंगथी पूर्ण श्रयेला ए राजाए मंगलकारी दीक्षानी श्छा करी, पठी नगरमां आवी नत्तम स्वन्नाववाला ते नूपतिये तुरत पोताना पांचसो प्रधानोने बोलावीने आ प्रमाणे कडं. “हे सचिवो ! तमे सौ आदरथी म्हारां वचनने सांजलो. “हुं दवणां शुक गुरु पासे चारित्र लेवानी का करुं बु, कहो, तमारो शुं विचार बे?" आम राजाए पूज्युं एटले ते प्रधानए तेने प्रणाम करीने हितकारी आवी वाणी कही. "हे स्वामिन् ! अमने गृहावासमां तमज कल्पवृदनी पेठे इष्ट फल आपनारा लगे तो दिक्षाग्रहणमां पण तमेज अमाझं इष्ट करनारा थान. हे नराधिश ! निश्चे तमाराथी अमारो जूदो विचार शो होय ? अमे पण आपनीज साथे संसार समुन्ने तारनारी दीक्षा लश्शं.” तेनुए या प्रमाणे कडं एटले नूपतिये फरीथी कडं. “हे महाप्रधानो ! जो तमारो एवोज विचार होय तो हवणां तमे सौ पोतपोताना घरे जर म्होटा पुत्रने घरनो नार सोपी सर्व सामग्रीथी अहिं आवो के, जेथी आपणे चारित्र लश्ए.” या प्रमाणे मंत्रीयोने कही संसारथी विरक्त मनवाला सेलक नूपतिये पोताना मंमुक नामना पुत्रने विविध प्रकारना महोत्सवयी आनंदपूर्वक राज्यासने बेसास्यो अने पोते पांचसो प्रधानोनी साये तैयार थइ उद्यानमां भावी महोत्सवथी शुकसूरि पासे दीक्षा लीधी. पी सेलक राजर्षिये नत्तम बुश्विमेनक्तिश्री शुक गुरुनी पासे एकादशांगीनो अन्यास कस्यो. शुकाचार्ये तेमने योग्य जागी पोताना मूरिपदे स्थाप्या अने पांचसो साधुन सोप्या. परी पृथ्वी नपर बहु कालपर्यंत विधियी विहार करता अने पुण्यथी मनोहर एवी धर्मदेशनावमे अनेक नव्यजीवाने प्रतिबोध पमामता शुक गुरु पोतार्नु आयुष्य पूर्ण प्रयुं जागी विमलाचल नपर गया. त्यां पोताना परिवार सहित ए महामुनि एक मासना अनशनयी सर्व कर्मनो कय करी मोक्ष पाम्या. ' इवे सिझतना समुप श्री सेलक महासूरि पोताना पांचसो साधुन सहित निरंतर निर्मल चारित्रने पालता बता पृथ्वी नपर विहार करवा लाग्या. खुखा आहारथी, इस्तपना आचरणयी, महा विहारथी तेमज नत्पन्न अयेला
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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