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________________ (३०) ऋषिमंगलत्ति-पूर्वाई. तेश्री ते वीचारो लोकोनी सारसंन्नाल विना दुःखथी अकाम निर्जरावो मृत्यु पामीने देवता अयो. पठी ते देवताए पूर्व जन्मना वैरथी म्हारा देशने विषे रोग विकुयो. हवे म्हारी पालेना म्हारा मामाना देशमां निरोगीपणुं जोश में तेमने पूज्यु के, “ तमारा देशमां निरोगतानुं हुं कारण ?” (चं विद्याधर श्री रामने कहे जे के,) पली शेणघन राजाए पोताना नाणेज नरत नूपतिने कडं के, “ म्हारी प्रियंकरा नामनी जे पत्नी ने ते पूर्वे बहु रोगवाली हती, परंतु तेना गर्नने विषे कोइ पुण्यवान जीव नुत्पन्न भयो; तेना अनुन्नावथी ते रोग रहित थइ. पठी अनुक्रमे तेणे एक पुत्रीने जन्म आप्यो. में तेनुं विशख्या एवं नाम पामयु. हे नागिनेय ! पूर्वे म्हारो देश पण त्हारा देशनी पेठे बहु रोगवालो हतो; परंतु ए पुत्रीना स्नानजलनुं सींचन करवाश्री तत्काल निरोगी थयो . ___ एक दिवस म्हारे त्यां सत्यनू ति मुनि आव्या. तेमने में ए विशल्याना अतिशयनुं कारण पूज्युं एटले तेमणे कडं के, “एणे पूर्व नवने विषे अति घोर तप करेल , माटे तेना स्नानजलना सिंचन करवाथी अतिःसह एवा उष्ट वनी शांति, महारोगनो नाश अने शल्यनो कय श्राय . तो लक्षमणने पण एश्रीज शांति श्रवानी .” (नरत राजा चंद विद्याधरने कहे जे के,) मामानां आवां वचन सांजली में विशल्याना स्नान जलने लावी म्हारा देशने विषे गंटयुं, एश्री म्हारा देशनो रोग नाश पामी गयो. (चं विद्याधर श्री रामने कहे के,) नरत नूपतिनी एवी वाणी सनिली स्वस्थ थयेला शरीरवालो हुँ पिताए करेला नत्सव पूर्वक म्हारा घरने विषे गयो. ते हुं आजे या लक्ष्मणने प्रवल एवी शक्तिना प्रहारने श्रवण करी तत्काल तेनो नपाय कदेवाने माटे अहिं आव्यो ढुं. " हे नरोतम राम! तमे विशल्याना स्नानजलने शीघ्र अहिं मंगावो अने तेनुं लक्ष्मण नुपर सिंचन करो के, जेधी शक्तिनो प्रहार वृथा याय." चंड विद्यादरनां आवां वचन सांजलवाश्री राम विगरे सर्वे वहु हर्षित थया. पठी विचार करी रामनी अनुमति लश् नामंगल, हनुमान यने अंगद ए त्रणे जणा शीघ्र गतिवाला विमान नपर बेसी अयोध्यापुगे प्रत्ये आव्या. त्यां तेमणे नरत राजाने पोताना घरनी अंदर सुतेला
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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